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मैं उससे कितना प्यार करता हूँ

मैं उससे कितना प्यार करता हूं यह हकीकत जब उनको मालूम हुआ मेरा दिल उनकी मोहब्बत में मजबूर हो चुका है उनके विचार बदले बदले नजर आते हैं ऐसा लगता है उनको गुरूर हो चुका है

हर वक्त मैंने आपको दिल से चाहा

हर वक्त मैंने आपको दिल से चाहा और अपना बनाने की कोशिश किया मगर आपका प्यार नसीब हो ना सका जैसे हर किसी को होती है खुशियों की चाहत ऐसे मुझे भी थी मैं देखता रह गया खुशी निकल गई मेरे करीब से

अपने हुस्न का जाल ऐसा बिछाओ

अपने हुस्न का जाल ऐसा बिछाओ मैं फस जाऊं उस में उम्र भर के लिए ना निकलने का कोई हो रास्ता फिर धीरे-धीरे आपके प्यार का ऐसा असर मुझ पर हो जाए मैं निकल ना चाहूं वहां से कभी